भारत में मिला कोरोना का ट्रिपल म्यूटेशन वेरिएंट, जानिए Covid-19 के इस नए रूप के बारे में

भारत में मिला कोरोना का ट्रिपल म्यूटेशन वेरिएंट, जानिए Covid-19 के इस नए रूप के बारे में

सेहतराग टीम

कोरोना वायरस की दूसरी लहर तेजी से लोगों को अपनी चपेट में ले रही है। भारत के तमाम राज्यों में लॉकडाउन और नाइट कर्फ्यू भी जारी है बावजूद इसके कोविड संक्रमण के मामलों में सुधार नहीं हो रहा है। हर रोज लाखों की संख्या में लोग कोविड (Covid-19) से संक्रमित हो रहे हैं।

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एक ओर जहां कोरोना का पुराना रूप लोगों को एक के बाद एक चपेट में ले रहा है, तो वहीं इसके डबल म्यूटेंट की चपेट में आने वाले मरीजों की संख्या में बढ़ोतरी चिंता का विषय बनी हुई है। अभी डबल म्यूटेशन से लड़ने को तैयार हुए ही थे कि देश के कई हिस्सों में कोरोना के ट्रिपल म्यूटेशन वेरिएंट ने भी दस्तक दे दी है, जिसने सरकार से लेकर आम लोगों को चिंता में डाल दिया है। ट्रिपल म्यूटेंट क्या है और ये कितना खतरनाक है, इस बारे में अभी सीमित जानकारी ही सामने आ सकी है।

देश के इन हिस्सों में मिला कोविड का ट्रिपल म्यूटेंट

एक ओर जहां कोरोना की सेकंड वेव लोगों, अस्पतालों, मेडिकल फेसिलिटीज और प्रशासन के लिए चुनौती बन चुकी है, वहीं इस बीच अब तक तीन जगहों पर इसके तीसरे म्यूटेंट के मिलने की रिपोर्ट्स चिंता बढ़ा रही है। Covid-19 का नया वेरिएंट अब तक पश्चिम बंगाल, महाराष्ट्र और दिल्ली में पाए जाने की जानकारी है। विशेषज्ञों का मानना है कि वायरस के बदलते रूप, देश में तेजी से बढ़ते संक्रमित मरीजों की संख्या के लिए जिम्मेदार हैं।

​अब तक दुनिया में सामने आ चुके कोविड के 4 नए वेरिएंट

पहला म्यूटेटिड वायरस, B.1.1.7 था जिसे यूके वेरिएंट के रूप में भी जाना जाता है। ये वायरस इंग्लैंड के दक्षिण-पूर्व में पाया गया था। विशेषज्ञों के अनुसार ये वेरिएंट पुराने वेरिएंट्स की तुलना में 40-70% अधिक संक्रामक (Infectious) था और इससे डेथ रिस्क 60% तक बढ़ा। इसके बाद ब्राजील में नए वेरिएंट E484K का पता चला। ये पिछले म्यूटेशन की तुलना में और अधिक खतरनाक पाया गया।

साउथ अफ्रीकन वेरिएंट B.1.351 यूके सहित कम से कम 20 देशों में पाया गया था। E484K से ताल्लुक रखने वाला ये म्यूटेशन एंटीबॉडीज को चकमा देने में माहिर पाया गया। इसके अतिरिक्त, N501 म्यूटेशन इसे और घातक बनाता है।

भारत में मिले कोरोना के ये रूप

इंडियन ओरिजन कोरोना का डबल म्यूटेंट वेरिएंट, जिसे वैज्ञानिकों ने B.1.617 का नाम दिया है, इसकी पहचान मार्च महीने में हुई। कोरोना की दूसरी लहर के बीच इससे संक्रमित भी काफी मरीज पाए जा रहे हैं। कोरोना के सेकंड वेरिएंट में मौजूद E484Q और L452R म्यूटेशन्स, इसे ज्यादा संक्रामक और एंटीबॉडीज को पार कर शरीर में प्रवेश करने में सक्षम बनाते हैं।

​डबल म्यूटेंट में हुआ एक हुआ एक म्यूटेशन

COVID-19 के तेजी से बढ़ते मामले देश के मुश्किल से भरे हालातों और स्ट्रगल करते हेल्थ इन्फ्रास्ट्रक्चर को दर्शाते हैं। कोरोनावायरस की पहली लहर के विपरीत, दूसरी लहर कोरोनोवायरस म्यूटेशन के साथ आई है और ज्यादा घातक साबित हो रही है। ये न केवल हेल्थ के लहजे से कमजोर लोगों बल्कि युवाओं को भी प्रभावित कर रही है।

कोविड के 3 वेरिएंट से मिलकर बना ट्रिपल म्यूटेंट

डबल म्यूटेंट की चुनौतियां सरकार के लिए कम नहीं हुईं थीं कि अब पश्चिम बंगाल में SARS-COV-2 के एक और नए वेरिएंट का पता लगाया गया है। वैज्ञानिक ने इसे B.1.618 नाम दिया है। ट्रिपल म्यूटेशन कोरोनावायरस वेरिएंट, जो कोविड के तीन अलग-अलग स्ट्रेन का एक कॉम्बिनेशन है। आसान भाषा में ट्रिपल म्यूटेशन का मतलब है कि कोरोना वायरस के तीन अलग-अलग स्ट्रेन यानी स्वरूप मिलकर एक नए वेरिएंट में बदल गए हैं।

तीन स्ट्रेन मिलकर बने इस नए टाइप में E484K जैसे अलग जेनेटिक वेरिएंट्स पाए गए हैं, जिसका मतलब है कि ये थर्ड वेरिएंट उन लोगों के शरीर में भी एंटीबॉडीज को पार कर प्रवेश कर संक्रमित कर सकता है, जो पहले कोविड-19 से ठीक हो चुके हैं।

​कितना खतरनाक है ट्रिपल म्यूटेशन?

ट्रिपल म्यूटेशन वेरिएंट से से पैदा हुए खतरे और संक्रमण के जोखिमों का पता लगाना अभी बाकी है। हालांकि, कोरोनावायरस के बढ़ते मामलों से अंदाजा लगाया जा सकता है कि अब कोविड के नए म्यूटेशन पहले वायरस से काफी स्ट्रांग और अधिक घातक हो रहे हैं। एक ओर जहां डबल म्यूटेंट अपना प्रभाव वृद्धों, युवाओं और बच्चों पर दिखा रहा है। वहीं अभी ट्रिपल म्यूटेशन के लक्षणों की पहचान होनी बाकी है। फिलहाल इसे 'वेरिएंट ऑफ कन्सर्न' की जगह 'वेरिएंट ऑफ इंट्रेस्ट' समझा जा रहा है।

(साभार- नवभारत टाइम्स)

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